दोहरी ज़िंदगी का पैमाना नापा नहीं जाता... दोहरी ज़िंदगी का पैमाना नापा नहीं जाता...
दुखी बहुत हूँ ज़िंदगी में मैं, दुखी बहुत हूँ ज़िंदगी में मैं,
उस्ताद नहीं मैं लफ़्ज़ों का ना जादूगर अल्फाज़ो का, ना समझ मुझे है नज़्मों की ना ज्ञान म उस्ताद नहीं मैं लफ़्ज़ों का ना जादूगर अल्फाज़ो का, ना समझ मुझे है नज़्मों की ...
क्यों हुआ ?कैसे हुआ? कब हुआ? पता नहीं , इंसान बना मशीन, भावनाओं का पता नहीं क्यों हुआ ?कैसे हुआ? कब हुआ? पता नहीं , इंसान बना मशीन, भावनाओं का पता नहीं
ये इंसानों की कैसी जुस्तजू है एक पत्थर को पूजा जाता । ये इंसानों की कैसी जुस्तजू है एक पत्थर को पूजा जाता ।
मर्द का विलोम नहीं औरत मर्द का विलोम नहीं औरत